पतिको दीर्घायुको कामनाको लागि महिलाहरु वटसावित्री व्रत भव्य रुपले मनाउदै

कमल साह, जनकपुरधाम
जनकपुरधाम, जेष्ठ २७ गते । प्रदेश नं. २ को अस्थायी राजधानी जनकपुरधाम लगायतका सनातनधर्मावलम्बी नारी ले आज वर रुखमा पाँच, सात, एघार या २१ पल्ट रक्षा सुत्र बेरेर पतिको दीर्घायुको कानमना गर्नुभएकी छन ।
पतिको दिर्घायुको लागि यो पर्वभएकाले महिलाहरु बटसाबित्री पर्वमा बरको रुख नजिक विशेष पुजा गर्ने गर्छन ।
यसमा बरको रुख, नागनागिन र सोमाधोविनको पूजा गरिने परम्परा रहेको छ । यसदिन महिलाहरुद्वारा साबित्री र सत्यवानको कथा पनि सुनिने गरिन्छ । यो कथामा साबित्रीले आफ्नो तपस्याद्वारा पति सत्यवानलाई बचाएका थिए । बटसाबित्रीका दिन नून नखाने मिथिलामा चलन रहेको छ ।
यस पर्वको अवसरमा जनकपुरधामको राममन्दिर, गणेश मन्दिर, वौधिमाता मन्दिर, विवाह मण्डप,धनुषा,गंगासागर लगायतका ठाउमा रहेको बरको रुख नजिक पूजा गर्नेहरुको भीड लागेको थियो । नवविवाहित महिलाको घरमा यसदिन विशेष उत्सव हुने गर्छन । यस पर्वको दिन खासगरेर मैथिली बाहुन परिवारका नव विवाहित महिलाको ससुराबाट भार( पाहुर) आउने गर्छन ।
.पूजन सामाग्री –
१. बिना–७
२. डाली –७
३. बोहनी–१
४. अहिवातक पातिल
५. उड़ीदक बड़ १४
६. सुतरी
७. सरवा –२
८. माटिक बिसहरा (नाग–नागीन) – पांच
९. केरा पात
१०. लावा
११. एक सरवा दही
१२. अंकुरी खेरही किंवा बदाम केर
१३. लाल कपड़ा
१४. कनिया –पुतरा
१५. साजी
१६ अरवा चाउर
१७. एक जोड़ जनेउ आ गोटा सुपारी
१८. फल ,फूल ,पंचमधुर, पंचमेवा
१९. कांच हरदि ,दूबि ,कुसुमक फूल, धनियां, गंगाजल
२०. बिन्नी के पोटरी
२१ वित्रीको कथा मैथिलीमा
सोमा धोबिन आ नाग–नागिनक कथा –
एक टा गाम में एकटा ब्राह्मण अपना कनियाँ और सात टा पुत्र संगे खुशी खुशी रहैत छलाह। हुनका आंगनक भनसा घरक चिनवार लग एक टा नाग–नागिन अपन बिल बना क रहैत छल। ब्राह्मणक कनिया घर में बीहरि देखि प्रतिदिन भात पसेला क बाद ओ गरम माँर ओहि बीहरि में ढारि दैत छलईथ जाहि सं साँप क सबटा पोआ(बच्चा ) सब मरि जाईत छल क्ष् निरंतर अपन पोआ सब के मरला सं क्रोधित भय नाग –नागिन एक दिन ब्राह्मण के श्राप देलखिन जे जेना अहाँ हमार बच्चा सब के मारलउ तहिना अहाँ के वंश के सबटा बच्चा सब साँप के कटला से मरि जायत समयांतराल में ब्राह्मण के बड़का बेटा के हर्षो– उल्लास सं विवाह भेलनि क्ष्विवाहोपरांत ब्राह्मण बेटा कनियाँ के द्विरागमन करा अपना घर दिश बिदा भेला क्ष् रास्ता में किछु देर क वास्ते सुस्तेवा लेल एक टा वट वृक्ष क नीचा में दुनू बर कनियाँ बैसलाह क्ष्ओहि गाछ के जडÞि में एकटा धोधैर छल जाहि में नाग–नागिन रहैत छल क्ष् नाग–नागिन धोधैर सं निकलि दुनू बर कनियाँ के डैस लेलखिन जाहि सं दुनू के मृत्यु भय गेल क्ष् ब्राह्मण क घर में दुःख के पहाङ टूटि परल क्ष् अहिना क कय ब्राहमण के छ्हो पुत्र के एक एक करि कय कसर्प–दोष सं मृत्यु भय गेलनि क्ष् ब्राह्मण –ब्राह्मणी चिंतित रहए लगला आ अपन छोटका बेटा के हमेशा अपना आँखि के सामने रखैत छलैथ क्ष् बेटा के हमेशा झापि–तोपि के रखैत छलैथ कि कतहुँ साँप –बिच्छु ने काटि लई क्ष् ब्राह्मण क बेटा जखन पैघ भेला त धनोपार्जन हेतु घर से बाहर जेबा लेल जिद करय लगला क्ष् पहिने त हुनकर माता–पिता हुनका बाहर भेजवा लेल तैयार नई होईत छला ,फेर एही शर्त पर राजी भेला कि हमेशा अपना संगे एकटा छाता और जूता रखता क्ष् शर्त मानी ब्राह्मण बेटा घर सं बिदा भेला क्ष् जाईत–जाईत एकटा गाम लग पहुचला, गाम के बाहर एकटा धार छल ,ब्राह्मण बेटा जूता पहिर लेलथि आ धार के पार करअ लगला क्ष् तखने गाम के किछु लङकी सभहक झुण्ड सेहो धार पार करैत छल क्ष्सब सखि सब ब्राह्मण के बेटा के जुत्ता पहिर पानि में जाईत देखि ठठहा के हंसअ लगली आ कह लगली कि – हे देखू सखि सब केहन बुरबक छै ई ब्राह्मण बेटा पानि में जूता पहिरने अईछ क्ष्ओहि झुण्ड में एकटा सामा धोबिन के बेटी सेहो छल से सखि सबके अपन तर्क देलखिन जे –हे सखि नई बुझलौं ,ब्राह्मण बेटा पानी में जूता एही दुआरे पहिरने ऐछ जाहि सं पनि में रहै बला साँप –कीङा ओकरा पैर मे नइ काटि लइक्ष् ब्राह्मण बेटा ओहि लङकी के तर्क सुनि चकित भेला क्ष् धार पार कय सब गोटा आगु बढ़ल ,धुप बेसी छल मुदा ब्राह्मण बेटा छाता अपना कांख तर दबने रहल, सब सखि सब मुँह झाँपी मुस्कुरैत रहलि आ सोचैत छलि ,जे एतेक धुप छै आ ई मानुष छत्ता कांख तर दबेने ऐछ क्ष्बर रौउद छल आ गाम क उबर–खाबङ मैइटक रस्ता ,सब गोटा चलैत–चलैत थाईक गेल क्ष् रस्ता कात में एकटा बरका विशाल बङ क गाछ छल जकरा देख सब गोटा ओहि छाया में विश्राम करवा हेतु गाछ तर बैस रहल क्ष् ब्राह्मण बेटा जखने गाछ तर बैसला अपन कांख तर दबैल छत्ता खोइल ताइन लेलइथ क्ष् सब सखि सब फेर जोर सं हंस लागलि आ कह लागलि जे – देखिअऊ इ मानुष के धुप छल त छत्ता कांख तर देवेने छल आ जखन गाछ तक छाया में बैसल ऐछ त छत्ता तनने ऐछ सोमा धोबिन क बेटी जे ब्राह्मण बेटा के बार ध्यान सं देख रहल छालैथ,फेर अपन तर्क देलखिन जे – हे सखि सब अहाँ सब फेर नई बुझलौं ,इ ब्राह्मण बेटा गाछ पर रहै बला साँप–कीङा सं अपना क बचबै लेल गाछ तर छत्ता तनने ऐछ ब्राह्मण क बेटा जे बरि काल सं सोमा बेटी के तर्क सुनैत छला ,ओकर बात सं ततेक प्रभावित भेला कि सोचलैथ कि अगर विवाह करब त एही चतुर कन्या सं करब क्ष्ब्राह्मण बेटा गाम क धोबिन लग गेला आ धोबिन सोमा सं कहलखिन जे हम आहाँ क चतुर बेटी सं विवाह कर चाहैत छी क्ष् सोमा धोबिन तैयार भय गेलि आ खुशी –खुशी दुनू के विवाह कय देलखिन क्ष् जखन विदागरी क समय आयल त सामा धोबिन कहलखिन जे –हे बेटी हम त गरीब छी ,हमरा लग धन –दौलत किछु नहि अछि, अहाँ के हम विदागरी में कि दिय ? सोमा क बेटी ताहि पर उत्तर में कहलखिन जे –हे माय अहाँ हमरा किछु नय मात्र कनी धान क लाबा ,कनी दूध ,बोहनी आ एक ता बियन दिय आ आशीर्वाद दिय जे हम अपना पति आ हुनकर वंश वृद्धि में सहायक होइयन । सोमा धोभिन सब चीज जे हुनकर बेटी कहलकैन ओरिआन कय क देलखिन आ आशीर्वाद दय दुनू बर कनियाँ के बिदा केलखिन क्ष्ब्राह्मण बेटा अपना कनियाँ क लय अपना गाम दिश चल लगला क्ष् चलैत–चलैत जखन दुनू गोटा थाईक गेला त विश्राम करवा लेल एक टा बङ गाछ के नीचा में रुकि गेला क्ष् सोमा धोबिन क बेटी अपन माय क देल सबटा समान गाछ के निचा में राखि अपना वर संगे आराम करय लगलि । ओही बङ के जइङ में एकटा नाग अपना नागिन बिल में संगे रहैत छल क्ष्गाछ के जैङ लग दूध, लाबा आ बोहनी में राखल पानि देखि नाग कय भूख और प्यास जागृत भय गेल आ नाग अपना बिल सं निकलि बाहर जेवाक लेल व्यग्र भ गेला क्ष् नागिन बार बार मना कर लागलैथ किन्तु नाग नइ मानलैथ आ बाहर आबि जहिना बोहनी में राखल पानी के पिबा लेल ओहि में मुहँ देलखिन, धोबिन बेटी नाग समेत बोहनी के हाथ सं पकङि अपना जाँघ तर में दाबि क राखि लेलैथ क्ष् नाग कतबो प्रयास केलैथ निकलि न हि पेलैथक्ष् जखन बरि काल बितला क बादो नाग घुरि क नहीं अयलाह त नागिन बाहर निकललि आ देखलथिन्ह जे नाग के त एकटा नव कनियाँ पकङने अछि । नागिन सोमा बेटी सँ कहथिन्ह जे हमर “वर“ दिअ ! सोमा बेटी नइ मानलथिन्ह कहथिन्ह जे पहिने अहाँ हमर “मर“ दिअ!
नागिन के निरंतर अनुनय –विनय क बाद धोबिन बेटी एकटा शर्त राखलखिन जे –हे नागिन हम अहाँ के पति नाग राज के तखने छोङबनि जखन अहाँ हमरा पति आ हुनकर वंश के सर्प–दोष सं मुक्त करब संगहि हुनकर छबो भाई के जे मरि गेल छैथ के पुनः जीवित करब क्ष् नागिन विवश छलि धोबिन बेटी के शर्त मानवा लेल नागिन स्वर्ग सं अमृत अनलेइथ आ ब्राह्मण के सबटा पुत्र ,पुत्रवधु के जीवित कय सर्प –दोष सं मुक्त कय सब के आशीर्वाद देलखिन क्ष् तखन जा क धोबिन बेटी नाग के छोङलखिन और अपन करनी लेल क्षमा माँगी नाग –नागिन के प्रणाम केलैथ तखन नाग नागिन ब्राह्मण के सबटा पुत्र आ पुत्रबधु सबके आशीर्वाद दैत कहलखिन – जेष्ठ मा‘स के अमावश्या दिन विवाहित कनियाँ सब ज्यों बङ के गाछ के पूजा करति आ बिष–विषहारा के दूध लाबा चढ़ा हुनकर पूजा करती तँ हुनकर सब के सुहाग अखण्ड रहतेंन ।
नाग –नागिन सं आशीर्वाद लय ब्राह्मण क सातों पुत्र आ सातों कनिया जखन अपना घर पहूँचला त ब्राह्मण –ब्राह्मणिक खुशीक कोनो पारावार नहिं छल। सोमा धोबिनक बेटी अपन चतुरता सँ छबो दियादिनी क सोहाग बचौलक आ ब्राम्हणक उजरल घर बसौलक। बाद सब गोटा प्रसन्ता पूर्वक रहए लगलाह ।
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